रचना के आधार पर वाक्य के भेद – Rachana ki drashti se vakya ke prakar

रचना के आधार पर वाक्य के भेद: रचना के आधार पर वाक्य के निम्नलिखित 3 भेद होते हैं:-

1. सरल वाक्य/साधारण वाक्य

जिन वाक्यो मे एक ही विधेय होता है, उन्हें सरल वाक्य या साधारण वाक्य कहते हैं, इन वाक्यों में एक ही क्रिया होती है। 

जैसे-

  • मुकेश पढ़ता है। 
  • राकेश ने भोजन किया। 

2. संयुक्त वाक्य

दो अथवा दो से अधिक साधारण वाक्य जब सामानाधिकरण समुच्चयबोधकों जैसे- (पर, किन्तु, और, या आदि) से जुड़े होते हैं, तो वे संयुक्त वाक्य कहलाते हैं।

ये चार प्रकार के होते हैं-

(i) संयोजक- 

जब एक साधारण वाक्य दूसरे साधारण या मिश्रित वाक्य से संयोजक अव्यय द्वारा जुड़ा होता है 

जैसे-

  • गीता गई और सीता आई। 

(ii) विभाजक- 

जब साधारण अथवा मिश्र वाक्यों का परस्पर भेद या विरोध का संबंध रहता है। 

जैसे-

  • वह मेहनत तो बहुत करता है पर फल नहीं मिलता। 

(iii) विकल्पसूचक- 

जब दो बातों में से किसी एक को स्वीकार करना होता है। 

जैसे-

  • या तो उसे मैं अखाड़े में पछाड़ूँगा या अखाड़े में उतरना ही छोड़ दूँगा। 

(iv) परिणामबोधक- 

जब एक साधारण वाक्य दसूरे साधारण या मिश्रित वाक्य का परिणाम होता है। 

जैसे-

  • आज मुझे बहुत काम है इसलिए मैं तुम्हारे पास नहीं आ सकूँगा।

3. मिश्रित/मिश्र वाक्य

जिन वाक्यों में एक मुख्य या प्रधान वाक्य हो और अन्य आश्रित उपवाक्य हों, उन्हें मिश्रित वाक्य कहते हैं। इनमें एक मुख्य उद्देश्य और मुख्य विधेय के अलावा एक से अधिक समापिका क्रियाएँ होती हैं।

 जैसे –

  • ज्यों ही उसने दवा पी, वह सो गया। 
  • यदि परिश्रम करोगे तो, उत्तीर्ण हो जाओगे। 
  • मैं जानता हूँ कि तुम्हारे अक्षर अच्छे नहीं बनते।

विशेष-

इन वाक्यों में एक मुख्य या प्रधान उपवाक्य और एक अथवा अधिक आश्रित उपवाक्य होते हैं जो समुच्चयबोधक अव्यय से जुड़े होते हैं।

मुख्य उपवाक्य की पुष्टि, समर्थन, स्पष्टता अथवा विस्तार हेतु ही आश्रित वाक्य आते है।

देखे वाक्य के भेद – वाक्य के भेद

रचना के आधार पर वाक्य के भेद

You May Also Like